आओ कविता पढ़े मां का घर | मां का घर ही मेरा घर है।


आओ कविता पढ़े मां का घर | मां का घर ही मेरा घर है

नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका हमारी इस ब्लॉग पोस्ट में आज हम आपको अपने बचपन और अपनी प्यारी मां की कविता लेकर आए हैं। दोस्तों हमें कविता को पढ़ना चाहिए। क्योंकि कविता में बहुत सारा ज्ञान छुपा होता है। कविता से हमारा ज्ञान बढ़ता है। हमें अच्छी से अच्छी कविता पढ़ना चाहिए। और कविता पढ़ने से हमारा दिल हल्का हो जाता है।

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आओ कविता पढ़े बदल बोला कविता | बादल बोला-पानी भरकर


मां का घर


मां का घर ही मेरा घर है,
मां के घर में तनिक न डर है।

मां के घर को, अपना माना,
मां का घर जाना पहचाना।

मां का घर है प्यारा-प्यारा,
हमने इसको खूब संवारा।

खेले-कूदे, दौड़े- भागे,
खाना खाए, प्यारा घर है।

धूम मचाए किसका डर है।

आओ कविता पढ़े मां का घर | मां का घर ही मेरा घर है

दोस्तों आपको इस कविता को पढ़कर अपना प्यारा बचपन याद आ गया होगा। और आपकी प्यारी मां भी याद आ गई होगी। और याद कुछ नहीं आया तो अभी याद कीजिएगा आपके बचपन कैसे थे।


तो दोस्तों आशा करते हैं आपको या है कविता पसंद आई होगी और कमेंट में बताइएगा आपकी बचपन कैसे थे। Ok

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