आओ कविता पढ़े बदल बोला कविता | बादल बोला-पानी भरकर
बदल बोला
बादल बोला-पानी भरकर,
लाया हूं, माली जी।
कलियों से, फूलों से कह दो,
मैं लाया हूं माली जी।
माली बोला- भले पधारें,
आओ आओ बादल जी।
उमड़ घुमड़कर रहो बरसते,
मन हर्षा दो बादल जी।
बादल जी और वाली जी।
दोनों मिलकर के धरती पर,
फैलाते हरियाली जी।
दोनों अगर रूठ जाए तो,
दुनिया खाली-खाली जी।
दोनों खुश हो तो क्या कहने,
बजे घंट घड़ियाली जी।
आओ कविता पढ़े बदल बोला कविता | बादल बोला-पानी भरकर
तो दोस्तों कविता थोड़ी-थोड़ी समझ में आ ही गई होगी। कवि से हमें समझना चाहिए। और हमें कविता पढ़कर ज्ञान बढ़ाना चाहिए। कविता में बहुत सा ज्ञान छुपा होता है। कविता में बादल को माली जी ने अपनी कलियों से फूलों से बादल को अपने बस में कर लिया है। माली के गार्डन की हरियाली देखकर बादल का मन प्रसन्न हो रहा है। तो इसी तरह हमें भी किसी की खुशी के लिए कुछ ना कुछ करना चाहिए।
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